अगर आप पूरी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता दें कि यह लेख आपके लिए ही है। इसमें पूरी में घूमने के लिए बेहतरीन स्थान और प्रमुख दर्शनीय स्थल और साथ ही पूरी में रुकने का जगह, घूमने का सही समय आदि के बारे में भी जानकारी दी है।
पुरी में घूमने के लिए कई खास जगहें, समुद्र और दर्शनीय स्थल हैं, जो लोगों को अपनी ओर खींचते हैं यहाँ के फेमस मंदिर, मठ और सुंदर समुद्र हैं जिन्हें देखने लोग दूर-दूर से आते हैं।
चार धामों में से एक धाम है पूरी, जो कि उड़ीसा में है। पुरी को जगन्नाथ पुरी के नाम से भी जाना जाता है और यह पूरे भारत में प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए पुरी एक पवित्र धाम है।
पूरी शहर भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए जाना जाता है। इस शहर में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने आते हैं। यह एक धार्मिक, मशहूर और विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में से एक है।
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से पूरी लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूरी धार्मिक स्थल के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है जहां लोग जाना काफी ज्यादा पसंद करते हैं।
पुरी में आप समुद्री तट का भी आनंद ले सकते हैं। इस स्थान पर जगन्नाथ मंदिर के अलावा और भी कई सारे प्राचीन मंदिर मौजूद है। इस लिए इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है
यदि आप पूरी घूमने जाना चाहते हैं तो इस लेख में पूरी में घूमने के लिए बेहतरीन जगह और प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में जानकारी शेयर किया है जिससे पता चलेगा की पूरी घूमने की जगह और पूरी में कब जाये और पूरी में कौन-कौन से स्थान है जहां जरूर घूमना चाहिए। पूरी में घूमने के प्रसिद्ध जगहों डिटेल में जानेगे।
Top places to visit in Puri:
Sri Jagannath Temple
Golden Beach (Puri Beach)
Sudarshan Crafts Museum
Balukhand Wildlife Sanctuary
Chilika Lake and Sanctuary
Narendra Tank/Narendra Pokhari
Raghurajpur Artist VillageI
पुरी में लोकप्रिय पर्यटक स्थल (Puri Tourist Places in Hindi)
पुरी में एक नहीं बल्कि कई सारे लोकप्रिय पर्यटक स्थल मौजूद है जहां लोग जाकर घूमते और अच्छा समय बिताना काफी ज्यादा पसंद करते हैं।
निचे पर हमने पूरी के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के बारे में बताया है जहां आप जाकर सुंदर नजरा का लुफ्त उठा सकते हैं। तो चलिए अब पूरी में लोकप्रिय पर्यटक स्थलों के बारे में जानते हैं:-
जगन्नाथ मंदिर

पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर 11वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा इंद्रद्युम्न ने बनवाया था। यह मंदिर श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिर है जिसमें उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां भी विराजमान हैं। ये विशेष लकड़ी से बनाया जाता है, जिन्हें हर 12 साल में बदला जाता है।
विश्व भर से लोग जगन्नाथ मंदिर में आते है। यहाँ के मुख्य मंदिर दर्शन करने के बाद आप और भी कई छोटे-छोटे मंदिर हैं जहाँ जा सकते हैं I
इस मंदिर का लंगर दुनिया का सबसे बड़ा लंगर माना जाता है, यहाँ प्रसाद की कभी कमी नहीं होती। ऐसा कहा जाता है।
दर्शन का समय: सुबह 5:30 बजे से रात 9:30 बजे तक।
कैसे पहुंचे: पुरी रेलवे स्टेशन से मंदिर केवल 2.8 किमी की दूरी पर है। तो आप टैक्सी, बस या ऑटो ले सकते हैं।
प्रवेश शुल्क: दर्शन पूरी तरह निशुल्क है। मंदिर में दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
जगन्नाथ रथ यात्रा

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा जून और जुलाई महीने के समय निकलती है। जिसे देखने के लिए पुरे देश से लोगों की हुजूम आते हैं। यह रथ यात्रा जगन्नाथ पुरी मंदिर से शुरू होते हुए गुंडिचा मंदिर तक जाकर समाप्त होती है।
यह जगन्नाथ रथ यात्रा पूरे 9 दिनों तक चलती है जिसमें कई सारे कार्यक्रम आयोजित कराए जाते हैं। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की लकड़ी की प्रतिमा बनाकर विशाल रथ पर स्थापित किया जाता है।
यह रथ यात्रा पूरे 5 किलोमीटर की दूरी तक होती है। ऐसे में अगर आप भी इस प्रसिद्ध और धार्मिक रथ यात्रा को देखना चाहते हैं तो आपको जून या जुलाई महीने के बीच पुरी पहुँचना एक अच्छा समय होगा।
पुरी बीच

पूरी प्रसिद्ध मंदिरों के अलावा अपने मशहूर बिचों के लिए भी काफी जानी जाती है। इस बीच पर पहुंचने के लिए आपको जगन्नाथ मंदिर से सिर्फ 2.5 किलोमीटर दूरी की याता करनी होगी और मशहूर बिच पर होंगे।
यहाँ कई सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव का भी आयोजन किया जाता है, जैसे पुरी बीच फेस्टिवलI
इस बीच पर पर्यटकों की भीड़ रहती है, यह भारत के सबसे सुंदर समुद्र तटों में गिना जाता हैI जसे पर्यटक यहाँ समुद्र की लहरों, सूर्यास्त का दृश्य और तटीय सौंदर्य को देखने के लिए आते हैंI
यहाँ के साफ बीच सुथरा है जो कांच जैसे सुन्दर दिखते हैं। पुरी बीच अपनी सुनहरी रेत और स्वच्छ नीले पानी के लिए विश्व प्रसिद्ध हैI
पुरी का गोल्डन बीच और सुंदर समुद्र और सुनहरी रेत पर बैठना एक अलग ही सुकून देता है ब्लू समुद्र देखना और जेट स्कीइंग, सर्फिंग और नाव की सवारी का आनंद लेना ये कुछ मेन एक्टिविटी है
पुरी बीच पर सुंदर रेत की मूर्तियाँ और पुरी बीच फेस्टिवल काफी अच्छा होता है साथ ही यहाँ से आप लाइटहाउस से समुद्र और शहर का नजारा देख सकते हैं।
यहाँ घूमने का सबसे ज्यादा मजा नवंबर महीने के महीने में आता है क्योंकि इस time पर पुरी बीच महोत्सव का आयोजन किया जाता है और जिसे देखने देश-विदेश से लोग आते हैं।
समय:- सुबह 5:00 से लेकर रात 10:00 तक
- कैसे जाएं:- पुरी रेलवे स्टेशन से आप डायरेक्ट ऑटो या बस ले सकते हैं, और पूरी रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी सिर्फ 1.3 किलोमीटर है।
- बस स्टैंड से दूरी: पूरी बस स्टैंड से पुरी बीच 3.8 किलोमीटर की दूरी पर है जहां आप सीधा बस से जा सकते हैं।
लोकनाथ मंदिर

लोकनाथ मंदिर का जगन्नाथ मंदिर से 2 किलोमीटर है जो ओड़िशा के पुरी में है यह लोकनाथ मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिरों में से एक है।
यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है और पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव के शिवलिंग को स्वयं बनाया और शिव की आराधना, ध्यान किये थे।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम माता सीता को खोजते खोजते यहां तक आ गए थे और यहां उन्होंने शिव का ध्यान किया और यही बैठकर भगवान शिव की आराधना किये थे, जब यह बात वहां के गांव वालों को पता चला तब वहां के गांव वालों ने शिवलिंग की प्रकृति के रूप में लौकी लेकर आए इसके बाद श्री राम ने लौकी को शिवलिंग के रूप में स्थापित किया और उनकी पूजा करने लगे।
तब लोग द्वारा इस जगह को लुक्का नाथ कहा जाने लगा, अब इसका नाम बदलकर लोकनाथ कर दिया गया है। यह तीस (30) फिट ऊंची मंदिर है, ये मंदिर को चार भागो में बटा है और मंदिर की दीवाल में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां दिखाई गई है, जो देखने में काफी अच्छा लगता है ।
वैसे तो इस मंदिर का दर्शन के लोग हमेशा ही आते हैं लेकिन जब सावन का महीना में आते हैं तो आप यहाँ के सावन का महीना बहुत बड़ा मेला भी देख पाएंगे जो कि सावन के हर सोमवार के दिन होता है।
शिवरात्रि से पहले आने वाले एकादशी, इस में भगवान शिव के दर्शन और आराधना के लिए हजारों की संख्या में लोग की भीड़ आती है।
इस मंदिर का दर्शन करने और घूमने का सबसे सही समय सावन का महीना और शिवरात्रि से पहले आने वाले एकादशी है।
- समय:- सुबह 5:00 से लेकर रात के 9:00 तक
- कैसे जाएं:- पुरी रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 4.6 किलोमीटर है वही जगन्नाथ मंदिर से इसकी दूरी 2 किलोमीटर है। आप सीधा बस या ऑटो से इस मंदिर का दर्शन करने आ सकते हैं
- बस स्टैंड से दूरी: बस स्टैंड से इस मंदिर की दूरी 4.7 किलोमीटर है।
- हवाईअड्डे से दूरी 60 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर)
नरेंद्र पोखरी

जगन्नाथ मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर दांडी माला शाही इलाके में बना हुआ नरेंद्र पोखरी है। इस नरेंद्र पोखरी को नरेंद्र टैंक के नाम से भी जाना जाता है।
यह एक बहुत ही बड़ा और पवित्र तालाब है इस पोखरी को राजा नरेंद्र देव राय द्वारा 15वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसे उड़ीसा का सबसे बड़ा टैंक भी कहा जाता है।
यह तालाब 10 फीट गहरा है इस में नहाने के लिए 16 घाट हैं। और इसके बीच में एक मंदिर है जिसे चंदन मंडप कहा जाता है। इसके अलावा आसपास में और भी कई सारे छोटे बड़े मंदिर स्थापित किए गए हैं।
हर साल वैशाख महीने में यहां पर चंदन यात्रा का त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान तालाब के आसपास जितने भी मंदिर मौजूद है उनमें स्थापित देवी देवताओं को चंदन का लेप लगाया जाता है और उन्हें इस तालाब के पवित्र पानी से स्नान कराया जाता है।
अगर आप पूरी घूमने आते हैं तो इस जगह पर का जरूर आनंद उठाएं। नरेंद्र पोखरी मंदिर अपने चंदन यात्रा महोत्सव के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है और इस महोत्सव के दौरान होने वाले कार्यक्रम काफी ज्यादा अद्भुत होते हैं।
- समय: सुबह 6:00 से लेकर रात 8:00 बजे तक
- पूरी रेलवे स्टेशन से दूरी:- 2.7 किलोमीटर
- जगन्नाथ मंदिर से दूरी: 1 किलोमीटर, जगन्नाथ मंदिर से आप पैदल भी इस तालाब तक आ सकते हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है जो पुरी से लगभग 35 किलोमीटर है इसे गंग वंश के प्रथम राजा नरसिंह देव द्वारा 13वीं शताब्दी (वर्ष 1250) बनवाया गया सूर्य का मंदिर है। यह मंदिर कलिंग वास्तु शैली में बना हुआ है। यह मंदिर करीब 700 साल पुराना है।
इसी मंदिर का फोटो भारतीय ₹10 के नोट पर छपी होती है। ये मंदिर इतना लोकप्रिय है कि यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।
यह मंदिर एक रथ के आकार में बनाया गया है, जिस पर भगवान सूर्य की मूर्ति स्थापित है और इस रथ को सात घोड़ो से खींचते हुए दिखाया गया है, जो एक सप्ताह के सातो दिनों को दर्शाते हैं। और रथ में 12 पहिए हैं, जो साल के 12 महीनों को प्रतिनिधित करते हैं। यह मंदिर 12 एकड़ जमीन में फैला हुआ है।
भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और वही बात करे पुरी टूरिज्म का तो puri का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थान है कोणार्क मंदिर।
यदि आप कोणार्क मंदिर सर्दियों से समय में घूमने जाते हैं तो वहां कोणार्क नृत्य महोत्सव का आनंद ले पाएंगे जिसे देखने के लिए पूरे भारत और विश्व भर से लोग आते हैं जिसमे इंडिया के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य (क्लासिकल डांसर) के घुंघरूओं की आवाज डांस का लुप्त ले पाएंगे। इस समय कोणार्क में घूमने वालो की और कला प्रेमियों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
यह हर साल 1 से 5 दिसंबर तक कोणार्क नृत्य महोत्सव का आयोजन होता है जिसका डेट 1st – 6th दिसंबर 2025 है।
यह कला, संस्कृति, नृत्य महोत्सव और संगीत का बहुत सुन्दर संगम होता है कोणार्क नृत्य महोत्सव जो 32 वर्ष पहले 1986 में शुरू होने के बाद से आयोजित किया जा रहा है।
कोणार्क सूर्य मंदिर जाने के लिए कोई प्रवेश (entry fee) नहीं लगता है, यहाँ कभी भी जा सकते हैंI
- समय : सुबह 6:00 से लेकर रात 8:00 बजे तक
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: 30 किलोमीटर
- बस स्टैंड से दूरी: 6 मिनट की दूरी
- कैसे जाएं: कोणार्क सूर्य मंदिर जाने के लिए आप टैक्सी, ऑटो या फिर सीधा बस स्टैंड से बस पकड़ सकते हैं ।
बेदी हनुमान मंदिर, पुरी

पुरी में स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर बेड़ियों में बंधे होने के चलते मशहूर है। बेड़ी हनुमान कि इस मंदिर में विराजे हनुमान जी की मूर्ति बेडियो में जकड़ी हुई है।
यह भारत की एकमात्र ऐसी हनुमान जी की मंदिर है जिनका प्रतिमा बेड़ियों से जाकरा है। इसके पीछे की कहानी बहुत ही रोचक है।
यह मंदिर समुद्री तट के किनारे स्थित है जिसके कारण तीन बार समुद्र की लहरों ने इस मंदिर नुकसान पहुंचा था। ऐसे में इस मंदिर की रक्षा करने के लिए भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को आदेश दिया था।
आदेश पाने के बाद एक बार हनुमान जी बिना जगन्नाथ भगवान को बताए हुए अयोध्या चले गए थे और इस बीच समुद्री की लहर शहर में घुस आई और मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाई थी।
इसी चलते भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को बेड़ी में जाकर उन्हें सतर्क रहते हुए इस मंदिर की रक्षा करने का आदेश दिया था।
- समय:- सुबह 6:00 से लेकर शाम 6:00 तक
- रेलवे स्टेशन से दूरी: 1.3 किलोमीटर
- बस स्टैंड से दूरी: 3 किलोमीटर
- कैसे जाएं: आप रेलवे स्टैंड या बस स्टैंड से सिद्ध ऑटो या बस पकड़ कर यहां आ सकते हैं।
- प्रवेश शुल्क: इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए ₹5 लगते है।
गुंडिचा मंदिर पुरी

पुरी में घूमने लायक जगह में से एक गुंडिचा मंदिर है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर है जिसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। यह मंदिर पुरी का सबसे प्राचीन मंदिर है और जब भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलती है तो जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर यही पर आकर समाप्त हो जाती है। जगन्नाथ रथ यात्रा, श्री जगन्नाथ पश्चिम द्वार से इस मंदिर में प्रवेश करते हैं और पूर्व द्वारा से मंदिर से बाहर निकलते हैं।
यहां पर इस रथ यात्रा को गुंदीचा यात्रा या घुसी यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के सुरक्षा के लिए इसके चारों तरफ 20 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी दीवाल बनाई गई है।
इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ का उद्यान घर भी कहा जाता है। वही जैसा कि हमने आपको बताया कि इस मंदिर में प्रवेश करने के दो द्वारा बनाए गए हैं एक पश्चिम दिशा में मौजूद है तो दूसरा पूर्व दिशा में मौजूद है। इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम प्रवेश द्वार है।
इस मंदिर को महारानी गुंडिचा ने बनवाया था, जो श्री जगन्नाथ मंदिर के संस्थापक महाराज इंद्रद्युम्न की पत्नी थी। पुरानी कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि गुंडिचा भगवान श्री कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थी, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने उनकी आस्था को देखते हुए उनसे प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिया था। और भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए हर साल उनके यहां आने का भी वचन दिया था और यह माना जाता है कि इसीलिए जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हुई थी।
- समय: सुबह 06:00 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक और शाम 04:00 बजे से रात 09:00 बजे तक
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: 1.4 किलोमीटर
- बस स्टैंड से दूरी: 1.4 किलोमीटर
नंदनकानन चिड़ियाघर

नंदकानन चिड़ियाघर जानवरों से प्रेम करने वालो के लिए एक खूबसूरत घूमने वालो के लिए जगह है। यह ओडिशा के बारंग गांव में स्थित है यहां का चिड़ियाघर करीब 437 हेक्टर (एक हजार अस्सी एकड़) में फैला हुआ है। जब आप यहाँ जाते है तो बिल्कुल असली जंगल जैसा एहसास होता है।
यह भारत का एक प्रमुख चिड़ियाघर है। जो सफेद बाघ सफारी और एक शेर सफारी के लिए काफी फेमस है। यहाँ पर पर्यटक जंगल सफारी का आनंद ले सकते हैं और अलग अलग प्रकार के जानवरों को देख सकते हैं।
चिड़ियाघर में एक वनस्पति उद्यान और 134 एकड़ का कंजिया झील भी है, जो इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। नंदनकानन चिड़ियाघर दुनिया का पहला ऐसा चिड़ियाघर है जिसने सफेद बाघ और मेलानिस्टिक बाग का प्रजन किया है।
इस चिड़िया घर को 1960 में बसाया गया और इसको 1979 में जनता के देखने और घूमने-घुमाने लिए खोल दिया गया था ।इसमें आप अनेक प्रकार के जानवर और पक्षियाँ देख पाएंगे, इसमें 81 प्रकार की पंछी, 18 प्रकार के साँप और 67 प्रकार के स्तनधारी जानवर आदि शामिल हैं।
नंदनकानन, ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से केवल 15 KM दूरी पर है। भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन 18 KM की दूर है और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बीजू पटनायक से 20 KM की दूरी पर है।
- समय: अप्रैल से सितंबर- सुबह 07:30 बजे से शाम 05:30 बजे तक और अक्टूबर से मार्च- सुबह 08:00 बजे से रात 05:00 बजे तक वहीँ सोमवार को बंद रहता है।
- प्रवेश शुल्क: 3 से 12 साल के लिए 10 रूपये, 12 साल से अधिक के लिए 20 रूपये, विदेशी व्यक्ति के लिए 100 रूपये
- भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से दूरी: 17.1 KM
चिल्का झील (Chilika Lake)

पूरी में देखने और घूमने के लिए काफी फेमस एक झील है जिसका नाम चिल्का झील (Chilika Lake) है जो विश्व की दूसरे सबसे बड़ी झील है। और भारत की सबसे बड़ी तटीय झील चिल्का झील है इस लेक में कई धाराओं से पानी आता है।
चिल्का झील, ओडिशा में स्थित एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य, पक्षियों और मछली पकड़ने के लिए मशहूर है चिल्का झील को घूमने और घुमाने वजहों से भी जाना जाता है।
चिलिका झील 70 km लम्बी तथा 30 km चौड़ी है और यह झील लगभग 3 मीटर गहरी है।
चिल्का झील का पानी दिसंबर से लेकर जून महीने तक नमकीन रहता है लेकिन वर्षा ऋतु में इसका पानी मीठा हो जाता है।
आप यहाँ नाव की सवारी करके तरह-तरह के मछलियों और पक्षियों को देखने का आनंद ले सकते हैं। और यहां पर आये तो बोट राइडिंग (Boat Riding) – नाव की सवारी करना, डॉल्फिन वॉचिंग (Dolphin Watching), बर्ड वॉचिंग (Bird Watching),
द्वीपों की सैर (Island Hopping) – कालीजाई द्वीप: यहाँ देवी काली का प्रसिद्ध मंदिर है, नलबन द्वीप: बर्ड वॉचिंग के लिए बेस्ट प्लेस , हनीमून द्वीप और ब्रेकफास्ट आइलैंड: यह जगह कपल्स के लिए बेहद खूबसूरत है।
प्रकृति फोटोग्राफी (Nature Photography), सनराइज और सनसेट व्यू (Sunrise & Sunset View) मिस न करें।
- समय: आप साल के किसी भी महीने में जाकर चिल्का झील घूम सकते हैं।
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: पुरी रेलवे स्टेशन से चिल्का झील की दूरी 50 किलोमीटर है।
- कैसे जाएं: पुरी से चिल्का झील जाने के लिए आपको बस पकड़ना होगा।
विमला टेम्पल

विमला मंदिर देश के 52 मुख्य शक्तिपीठों में से एक है, जो उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में मौजूद है। यह मंदिर जगन्नाथ मंदिर के परिसर में ही मौजूद है। इन्हें जगन्नाथ परिसर का रक्षक भी माना जाता है।
इसी के चलते जगन्नाथ की पूजा करने वाले भक्त उनसे पहले देवी विमला को जाकर पूजा करते है, जगन्नाथ भगवान पर चढ़ने वाला प्रसाद सबसे पहले विमला देवी पर चढ़ाए जाते हैं।
पुरी का विमला देवी विमला को समर्पित है यह पुरी के जगन्नाथ मंदिर परिसर के अंदर, रोहिणी कुंड के पास स्थित है। देवी विमला को जगन्नाथ की माया शक्ति के रूप में भी देखा जाता है।
नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में 16 दिनों तक दुर्गा पूजन का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। पुरी में विमला शक्तिपीठ की यात्रा के लिए जुलाई से मार्च तक का समय अच्छा माना जाता है।
- समय: सुबह 5:00 से लेकर रात्रि के 10:00 तक
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: लगभग 3 किलोमीटर
- जगन्नाथ मंदिर से दूरी: 3 किलोमीटर
रघुराजपुर आर्टिस्ट विलेज (Raghurajpur Artist Village)

अगर आप कला प्रेमी हैं, तो रघुराजपुर ओडिशा का कलाकारों का गांव है जो पुरी से 10 किलोमीटर दूर स्थित रघुराजपुर गांव आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। यह पूरा गांव कला और कलाकारों से भरा हुआ है, जहां हर घर एक Art Gallery की तरह है।
यहां का की बात करे तो पट्टचित्र पेंटिंग, ताड़ के पत्तों की नक्काशी, पत्थर की मूर्तियां, लकड़ी के खिलौने, टसर पेंटिंग, पपीयर-माचे से बने मुखौटे और सजावट जैसे अद्भुत हस्तशिल्प देखने को मिलते हैं। खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में उपयोग होने वाली पारंपरिक सजावट भी यहीं तैयार होती है।
रघुराजपुर गांव, जो कि उड़ीसा राज्य के पुरी ज़िले में है एक खास जगह है, यहाँ पर 100 लोग रहते हैं, लेकिन हर घर में कोई न कोई बड़ा कलाकार होता है। यह गांव पूरी तरह से कला से भरा हुआ है।
यहाँ की कला पाँच ईसा पूर्व की है और इस गांव में ऐसे कई प्रमुख कलाकार हैं जो नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड विजेता कलाकार भी रहते हैं।
रघुराजपुर जाने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है, जब कलाकार अपने काम में व्यस्त होते हैं और आप उन्हें लाइव कला बनाते हुए देख सकते हैं।
यहां जाने के लिए आप पुरी टूर पैकेज में इसे शामिल कर सकते हैं।
अगर आप ओडिशा की सांस्कृतिक और अनूठी कलाकृतियों को करीब से देखना चाहते हैं, तो रघुराजपुर जरूर जाएं !
- समय: सुबह 6:00 से लेकर रात के 10:00 तक
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: 10 किलोमीटर
- जगन्नाथ मंदिर से दूरी: सिर्फ कुछ किलोमीटर, जगन्नाथ मंदिर से आप पैदल भी जा सकते हैं।
सुदर्शन क्राफ्ट म्यूजियम

यह म्यूजियम कला में रुचि रखने वालो के लिए है, यदि कला में रुचि है और वह कला पसंद हैं
तो आपके लिए पूरी में एक घूमने वाली जगह है सुदर्शन क्राफ्ट म्यूजियम, जहां कि कला देखकर वह खुश हो जाएंगे। इस म्यूजियम को श्री सुदर्शन साहू के द्वारा कला प्रेमियों के लिए है।
इसी लिए इस म्यूजियम का नाम सुदर्शन शिल्प संग्रहालय रखा गया है। म्यूजियम में कई सारे पेंटिंग्स मूर्तियां पत्थर और लकड़ी पर बनी हुई कलाकारीयां जैसे चीज़ें है। तो आप कला में रुचि रखते हैं तो पूरी में दर्शन के बाद सुदर्शन क्राफ्ट म्यूजियम का जा सकते हैं। इस म्यूजियम के अंदर एक छोटा सा बौद्ध मंदिर भी है।
- समय: सुबह 8:00 से 12:00 तक, फिर दोपहर 2:00 से रात 8:00 तक। शनिवार और रविवार को यह म्यूजियम बंद रहता है।
- प्रवेश शुल्क: भारतीय लोगों के लिए ₹5 और विदेशी लोगों के लिए ₹50
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: 400 मीटर
स्वर्गद्वार बीच

स्वर्गद्वार सागर बीच पुरी, ओडिशा में एक प्रसिद्ध समुद्र तट का बीच है, जो अपने धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम के के लिए जाना जाता है।
यह बीच जगन्नाथ मंदिर के पास स्थित है और पुरी का स्वर्गद्वार सागर बीच ओडिशा का सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय समुद्र तटों में से एक है। हिंदू धर्म में इसे पवित्र माना जाता है। स्वर्गद्वार का अर्थ है स्वर्ग का द्वार होता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस समुद्र में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यहाँ का समुद्र तट का सुनहरी रेत, शांत लहरें और गर्म मौसम जो मन को सुकून देने वाला स्थान बनाते देते हैं। यहां सुबह-सुबह टहलने पर सूर्योदय का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
हिंदू धर्म के मानने वाले लोगों में इस बीच को लेकर लोगों के बीच काफी ज्यादा आस्था है न ही केवल उड़ीसा में, बल्कि पूरे देश भर में है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई भी व्यक्ति इस द्वार से होकर समुद्र के पानी में जाकर डुबकी लगाता है तो उसे बहुत आसानी से मोक्ष प्राप्त होती है।
स्वर्गद्वार बीच का बाजार भी काफी मशहूर है जहां से आप यहाँ का पारंपरिक हस्तशिल्प, स्मृति चिह्न (सुवेनियर) और सुंदर सीपियों से बनी चीजें खरीद सकते हैं।
यह स्वर्गद्वार पुरी जाने वाले यात्रियों के लिए जरूरी स्थानों में से एक है और इसे पुरी टूर पैकेज में शामिल करके आसानी से घूमा जा सकता है। आप भी पूरी घूमने जाए तो स्वर्ग द्वार जाये।
- समय: सुबह 6:00 से लेकर शाम के 7:00 तक
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: 3.5 किलोमीटर
- बस स्टैंड से दूरी: 3.6 किलोमीटर
अर्धासिनी मंदिर पुरी

अर्धासिनी मंदिर ओडिशा के पुरी में के ग्रैंड रोड पर स्थित यह मंदिर है, जो माता अर्धासिनी को समर्पित है जिसे मौसी माँ मंदिर से भी जाना जाता है। यहाँ मंदिर जगन्नाथ पुरी मंदिर से करीब लगभग 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। लोग इन्हे यहां संरक्षक देवी मानते हैं।
अर्धासिनी देवी को भक्तों की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।
मान्यता है कि जब पुरी में प्रलयंकारी बाढ़ आई थी, तब माता अर्धासिनी ने पुरी को बाढ़ से बचाने के लिए समुद्र का आधा पानी पी लिया था इसी कारण से इनको अर्धासिनी नाम दिया गया, जिसका अर्थ है आधा अवशोषित करने वाली।
स्कंद पुराण के वैष्णव कांड में जिक्र है कि अर्धशोसिनी देवी ने पुरी में आई बाढ़ के समय आने वाली समुद्र के पानी का आधा पी लिया था और श्री जगन्नाथ के निवास को बच गया था।
पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव के दौरान श्री जगन्नाथ का रथ मौसी मां मंदिर में रुकता है और देवी को भोग लगाया जाता है।
यदि आप पुरी में धार्मिक यात्रा पर जा रहे हैं, तो अर्धासिनी मंदिर के दर्शन करें। यह मंदिर न केवल आस्था बल्कि आध्यात्मिक शांति भी देती है ।
- समय: सुबह 6:00 से लेकर रात के 9:00 तक
- जगन्नाथ मंदिर से दूरी: 3 किलोमीटर
- पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी: 4.8 किलोमीटर
आप पुरी रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो, टैक्सी या रिक्शा के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए?
पुरी जाने का सही समय
पुरी घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं, लेकिन समझ नहीं आ रहा कि कब जाना सबसे सही रहेगा, जो आपकी यात्रा को मजेदार और यादगार बन सके।
तो जानते हैं कि पुरी जाने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है और जगन्नाथ पुरी जाने के लिए सबसे अच्छा महीना कौन सा है?
पूरी में घूमने के लिए जून से जुलाई महीने के बीच और अक्टूबर से लेकर मार्च काफी लोग आते हैं। अगर आप पुरी घूमने की प्लान बना रहे हैं, तो सही समय चुनना बहुत जरूरी है, ताकि आपकी यात्रा को आरामदायक और यादगार बन सके।
पुरी जाने का सही समय हर यात्री की पसंद पर निर्भर करता है। कुछ लोग रथ यात्रा के भव्य उत्सव का हिस्सा बनना चाहते हैं, जबकि कुछ लोग शांति और अच्छे मौसम में पुरी घूमना पसंद करते हैं।
रथ यात्रा देखनी हो, तो जून-जुलाई जाएं
अगर रथ यात्रा देखनी हो या उसमे शामिल होना चाहते हैं, तो यह जून-जुलाई का महीना एक समय सबसे अच्छा है। इस दौरान पुरी में भव्य उत्सव और चारों ओर भक्ति और उल्लास का माहौल रहता है, जिसका हिस्सा बनने लाखों लोग यहाँ इस बीच आते हैं।
हालांकि, इस समय थोड़ा भीड़ अधिक होती है लेकिन इस समय घूमने में मजा आता है
लेकिन पुरी जाने घुमेन का सही समय हर यात्री की पसंद पर निर्भर करता है। कुछ लोग रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के भव्य उत्सव का हिस्सा बनना चाहते हैं जबकि कुछ लोग सुकून से और अच्छे मौसम में पुरी घूमना पसंद करते हैं।
शांति से पुरी घूमना है, तो अक्टूबर से मार्च जाएं
जो यात्री बिना भीड़-भाड़ के शांति और सुकून से पुरी घूमना चाहते हैं, उनके लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बढ़िया रहता है और मौसम सुहावना और सफर करना आरामदायक रहता है।
तापमान 15°C से 28°C के बीच रहता है और आप आराम से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं और समुद्र तट पर रिलैक्स करना या फिर और भी जगह पर जा कर घूम सकते हैं।
सर्दियों में पुरी घूमने के लिए अच्छा समय होता है और यदि आप आराम से घूमने और शांति से घूमना चाहते हैं, तो सर्दियों का समय बेहतर रहता है। यहाँ अक्टूबर से मार्च पुरी घूमने के लिए सबसे बेस्ट महीना माना जाता है।
अगर आप पूरी के जगन्नाथ यात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जून से जुलाई महीने के बीच यहां आना होगा।
जगन्नाथ पुरी कैसे पहुंचे?
जगन्नाथ पुरी जाना काफी असान है यहाँ पहुँचने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं होता है। ये आपने आप में काफी पॉपुलर है और जगन्नाथ पुरी रोड, रेलवे और हवाई तीनों ही रास्तों से जुड़ा है – जगन्नाथ पुरी आप रोड (सड़क), रेलवे और हवाई से जा सकते हैं आप अपने सुविधा के हिसाब से किसी भी रास्ते को चुन कर जगन्नाथ पुरी पहुंच सकते हैं।
जगन्नाथ पुरी भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, पुरी के नजदीक हवाई अड्डा (airport) भुवनेश्वर है, और नजदीक रेलवे स्टेशन पुरी है, और आप सरकारी और प्राइवेट बस और टैक्सी या से पुरी पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग

यदि रोड के रस्ते पहुंचना चाहते हैं तो सड़क मार्ग के जरिए पूरी जाना बेहद ही आसान है। पूरी भारत के अलग-अलग शहरों के राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा से अच्छे से जुड़ा हुआ है। जिससे आप अपने निजी वाहन से या फिर बसों से पूरी पहुंच सकते हैं। पुरी के लिए बसें चलती है, जो पूरी से बाहर जाती है और अन्य शहरों से पूरी आती है।
अगर आप कार या टैक्सी से जगन्नाथ पुरी पहुंचना चाहते हैं तो आप कनेक्टे रोड से ड्राइव करके आ सकते हैं।
हवाई मार्ग
अगर आप पूरी हवाईजहाज से जाने चाहते हैं तो पूरी के सबसे नजदीक हवाई अड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा है। जो पूरी से शहर से हवाई अड्डा की दूरी 60KM है।
इस हवाई अड्डा से भारत के अलग-अलग शहरों के लिए रेगुलर प्लेन आते जाते रहते हैं।
वहीं अगर कोई व्यक्ति किसी और देश से पूरी की यात्रा पर आते हैं तो उनके लिए पुरी के सबसे नजदीक हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो की कोलकाता में है।
कोलकाता से पूरी की दूरी 500 KM approx. है जिसे तय करने के लिए ट्रेन मार्ग या सड़क मार्ग का इस्तेमाल किया जा सकता है। कोलकाता से पुरी जाने के लिए ट्रेन और बस दोनों मिलती है।
अगर कोलकाता से पुरी फ्लाइट से जाना हो तो आप Kolkata to Puri के लिए फ्लाइट भी ले सकते हैं।
रेल मार्ग

पुरी पहुंचने के लिए सबसे आसान तरीका रेल मार्ग का है। यह एक धार्मिक स्थल होने के कारण यहाँ के लिए लगभग सभी राज्यों से पूरी आने के लिए ट्रेन मिल जाती है।
जगन्नाथपुरी मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन पुरी है, और यह मंदिर से पुरी रेलवे स्टेशन 3 किमी की दुरी पर है।
आप रेलवे स्टेशन से पुरी के लिए टिकट लेकर पुरी का पहुंच सकते हैं। और अदि आपको पुरी रेलवे स्टेशन के लिए टिकट नहीं मिल रहा हो तो आप उड़ीसा के और अन्य शहरों के किसी स्टेशन के लिए टिकट बुक कर सकते हैं। इसके बाद यहां से आप बस या फिर टैक्सी लेकर पूरी पहुंच सकते हैं।

पुरी में रुकने का जगह
पूरी पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ काफी मशहूर धार्मिक स्थल भी है, जिसके चलते हर महीना यहां लाखों की भीड़ लगती है। पुरी में लोग भगवान के दर्शन करने भी आते हैं और साथ-साथ वह प्रकृति का लुफ्त भी उठाते हैं।
पुरी में ठहरने के लिए निजी धर्मशालाएं के अलावा कई बड़े, छोटे होटल, गेट्स हाउस भी मौजूद है। जहाँ आप रुक सकते हैं।धर्मशाला में आप कम पैसों में रुक सकते हैं और वहां पर आपको खाने-पीने की भी सुविधा मिल जाएगी।
गेस्ट हाउस के लिए धर्मशाला से थोड़ा अधिक पैसा देना होगा। आप ये वहां जाकर बुक कर सकते हैं, कुछ ऐसे भी गेस्ट हाउस होते हैं जो ऑनलाइन और pre booking लेलेते हैं।
वही होटल लेने के लिए आप अपने बजट के हिसाब से कम का या ज्यादा का बुक कर सकते हैं। होटल ऑनलइन बुक कर सकते हैं जाने से पहले ही।
तो आप अपने बजट और सुविधा के हिसाब से रुकने का बंदोबस्त कर सकते हैं।
पूरी काफी मशहूर धार्मिक जगह है इसीलिए काफी लाखों लोग आते है जिसे यहां का बड़े और छोटे होटल और धर्मशाला आपको फुल मिलेंगे जो अधिकतर पुरी में हैं। इस लिए आप
इन्हीं सब कर्म के चलते पूरी में काफी बड़े और काफी छोटे होटल मौजूद होते हैं। आप अधिक बजट वाला भी होटल ले सकते हैं या आप चाहे तो कम बजट वाला भी होटल ले सकते हैं। पुरी में मौजूद अधिकतर हर होटल में आप ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।
इन होटल को बुक करने के लिए आपको इसके ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा। इन होटल के द्वारा हर साल अलग-अलग प्रकार के ऑफर भी दिए जाते हैं जिसका इस्तेमाल करके आप काफी सस्ते दाम पर होटल ले सकते हैं।
पूरी कैसे घूमे?
पूरी पहुंचने के बाद यह सोच रहे हैं की पूरी कैसे घूम तो हम आपको बता दें की पूरी घूमने के लिए आप कई सारे माध्यम का चुनाव कर सकते हैं।
पुरी में आप साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, या फिर टू व्हीलर या फोर व्हीलर वाहन बेहद ही आसानी के साथ किराए पर ले सकते हैं। टू व्हीलर और फोर व्हीलर वाहन किराए पर लेने के लिए आपके पास ड्राइविंग लाइसेंस होना जरूरी है।
वहीं अगर आप साइकिल रिक्शा या ऑटो रिक्शा किराए पर लेते हैं तो आपको एक ड्राइवर भी दिया जाएगा। हालांकि पूरी घूमने के लिए साइकिल रिक्शा को सबसे ज्यादा किफायती माना गया है। आप चाहे तो दूसरे वाहनों का भी चयन करके पूरी घूम सकते हैं लेकिन साइकिल रिक्शा की तुलना में यह काफी महंगे होते हैं।
FAQ:
जगन्नाथ पुरी घूमने के लिए कितने दिन चाहिए?
जगन्नाथ पुरी घूमने के लिए 3-4 दिन काफी होते हैं। 3 दिन में आप मंदिर और आसपास की जगहें देख सकते हैं। अगर आराम से घूमना है तो 4 दिन का प्लान बना सकते हैं।
पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर तक टैक्सी का खर्चा कितना है?
पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी करीब 3 किलोमीटर है। टैक्सी से वहां पहुंचने में सिर्फ 2 मिनट लगते हैं और किराया लगभग ₹85 से ₹110 के बीच होता है।
जगन्नाथ पुरी में सबसे प्रसिद्ध और मशहूर पर्यटक स्थान क्या है?
जगन्नाथ पुरी में सबसे प्रसिद्ध और मशहूर स्थान जगन्नाथ मंदिर है जहां पर हर महीने लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं।
जगन्नाथ पुरी जाने का सबसे सही समय क्या है?
जगन्नाथ पुरी जाने का सबसे सही समय अक्टूबर से लेकर मार्च महीने तक को माना जाता है क्योंकि इस समय यहां पर ना ज्यादा गर्मी होती है और ना ज्यादा ठंडी। इसके अलावा ज्यादा गर्मी होती है।
जगन्नाथ पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा किस महीने में निकलती है?
जगन्नाथ पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा जून से जुलाई महीने के बीच में निकलती है।
स्वर्ग द्वार बीच क्या है?
स्थानीय लोगों का यह मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस द्वार से होकर समुद्र के पानी में डुबकी लगाता है तो उसे बेहद आसानी के साथ मोक्ष प्राप्त होती है।
जगन्नाथ पुरी की प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा कहां से शुरू होकर कहां खत्म होती है?
जगन्नाथ पुरी की प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडींचा मंदिर पुरी पर आकर समाप्त हो जाती है।
कोणार्क सूर्य मंदिर पुरी रेलवे स्टेशन से कितने किलोमीटर की दूरी पर है?
उत्तर: कोणार्क सूर्य मंदिर पुरी रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर की दूरी पर है।
जगन्नाथ रथ यात्रा कितने किलोमीटर तक की होती है?
रथ यात्रा 5 किलोमीटर की होती है।
जानिए – गंगासागर कहां है? कब और कैसे जाएं? गंगा सागर में घूमने की जगह ?
निष्कर्ष:
उड़ीसा में पूरी एक ऐसा शहर है जहां आने का कई लोगों का सपना होता है। पूरी प्रसिद्ध धर्म स्थल के साथ-साथ मशहूर पर्यटन स्थल भी है।
इस लेख में हमने आपको पूरी में घूमने के लिए बेहतरीन स्थान और प्रमुख दर्शनीय स्थल के बारे में विस्तार से बताया है। साथ ही हमने आपको पूरी में रुकने का जगह, घूमने का तरीका, घूमने का सही समय आदि के बारे में भी जानकारी दी है।
अगर आप पूरी से जुड़ी कोई भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए लेख को अंत तक पूरा पढ़ें।
उम्मीद है कि इस लेख से आपको अच्छी जानकारी मिली होगी, इस लेख को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
Hi, मैं पूजा हूँ और मुझे घूमना और घूमने बारे में जानकारी देना बहुत पसंद है मैंने कई जगहों की यात्रा की है आप मेरे इस GhumoGhoomao.com से सफर पर जाने से पहले जानेंगे कि कहाँ घूमें, यात्रो को मजेदार कैसे बनाएं, सस्ते-अच्छे-होटल की जानकारी। उम्मीद है की मेरे द्वारा दिया जानकारी आपके यात्रा आसान बनाएगा!